जमानत याचिकाओं पर 10 मिनट से ज्यादा सुनवाई वक्त की बर्बादी, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान

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नई दिल्ली,10 दिसम्बर 2022\ सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अदालतों को दस मिनट से ज्यादा वक्त तक जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए। जमानत के मामलों में कई दिनों तक लंबी सुनवाई अदालत के समय की बर्बादी है। कोर्ट की यह टिप्पणी जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम की एक अर्जी पर सुनवाई के दौरान आई। कोर्ट ने कहा, ‘हमें लगता है कि जब गुण-दोष के आधार पर दायर की गई अपील की तरह जमानत आवेदनों पर बार-बार सुनवाई की जाती है, तो यह समय की बर्बादी है।’

दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी का नहीं होगा असर

 

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली दंगों के आरोपी शरजील इमाम को आश्वस्त किया कि इस मामले के दूसरे आरोपी उमर खालिद के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी उनके केस पर असर नहीं डालेगी। बता दें, हाई कोर्ट ने दिल्ली दंगों में उमर खालिद की सक्रिय भूमिका मानते हुए टिप्पणी की थी कि शरजील इमाम उनके संपर्क में थे।

कलीजियम के बैठक की जानकारी RTI से नहीं- SC

कलीजियम की मीटिंग में हुई चर्चा के बारे में आरटीआई के तहत जानकारी उजागर नहीं की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें 12 दिसंबर 2018 को हुई कलीजियम की बैठक की जानकारी आरटीआई के तहत उजागर करने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने कहा कि कलीजियम की बैठक में जो चर्चा हुई हो उसकी जानकारी नहीं मांगी जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि कलीजियम की बैठक के बाद जो आखिरी फैसला होता है जिस पर जजों के दस्तखत होते हैं उसे ही सार्वजनिक किया जाता है।

याचिकाकर्ता ने जानकारी के लिए डाली थी RTI

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता अंजलि भारद्वाज की ओर से अर्जी दाखिल की गई थी। अर्जी में कहा गया था कि कलीजियम की दिसंबर 2018 में मीटिंग हुई और जस्टिस मदन बी लोकूर इसमें शामिल हुए थे लेकिन उनके रिटारमेंट के बाद फैसला बदल दिया गया था। इस बारे में रिपोर्ट के आधार पर याची ने अर्जी दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कलीजियम कई मेंबरों वाली बॉडी है और उसके अस्थायी फैसले को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मीडिया इंटरव्यू पर भरोसा नहीं कर सकती है और बयान पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।


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