समाजशास्त्र एवं समाज कार्य अध्ययन शाला में हुआ ट्रांसजेंडर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन

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रायपुर,09 दिसम्बर 2022। को मितवा संकल्प समिति, रायपुर और समाजशास्त्र एवं समाज कार्य अध्ययनशाला, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर के संयुक्त तत्वाधान में विभाग के विद्यार्थियों व शोधार्थियों के साथ “ट्रांसजेंडर अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2019” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। स्वागत वक्तव्य में विभागाध्यक्ष प्रो. एन. कुजूर ने कहा कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति सदियों से समाज से बहिष्कृत रहे हैं और उन्हें मूलभूत मानवीय अधिकार भी नहीं प्रदान किए गए जिसके कारण यह समुदाय आज भी हाशिए पर जीवन व्यतीत करने को मजबूर है। तदोपरांत विभाग के प्रो. एल. एस. गजपाल ने उपस्थित सभी विद्यार्थियों, शोधार्थियों को सड़क सुरक्षा सप्ताह के बारे में जानकारी देते हुए मितवा संकल्प समिति की अध्यक्ष विद्या राजपूत को आमंत्रित किया कि वे आकार सभी को सड़क सुरक्षा से संबंधित नियमों का शपथ दिलाए।


कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में रवीना बरीहा, सदस्य तृतीय लिंग कल्याण बोर्ड छत्तीसगढ़ शासन, ने कार्यक्रम के शुरुवात में भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय के गौरवशाली इतिहास का वर्णन करते हुए कहा कि यह पश्चिम से आयतित अवधारणा नहीं है, हमारे समाज में हमेशा से ही जेंडर भिन्नता प्रदर्शित करने वाले लोग रहे हैं। अंग्रेजों के काल में बने अपराधिक जनजाति अधिनियम 1871 के कारण ट्रांसजेंडर की स्थिति में हास हुई जिसके कारण यह समुदाय समाज से बहिष्कृत ही हो गया। अधिनियम के बिंदुओं को प्रतिभागियों के समक्ष व्याख्यायित किया। रवीना बरीहा ने कहा कि समाज में ट्रांसजेंडर व्यक्ति को कई तरह के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के बाद केंद्र सरकार के द्वारा ट्रांसजेंडर अधिनियम पारित करवाया गया। आगे अपनी बात रखते हुए रवीना बरिहा ने कहा कि ट्रांसजेंडर को लेकर समाज में कई तरह की भ्रांति फैली हुई है जिसके कारण लोग समझ नहीं पाते कि ट्रांसजेंडर किसे कहा जाए और किसे नहीं। उन्होंने जोर दिया कि कोई व्यक्ति ट्रांसजेंडर है या नहीं यह उस व्यक्ति के आत्म पहचान पर निर्भर करता है। उन्होंने अधिनियम के बिन्दुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह अधिनियम ट्रान्सजेंडर व्यक्तियों को दोहरी सुरक्षा प्रदान करता है।


कार्यक्रम में दूसरे वक्ता के रूप में पापी देवनाथ ने अपनी बात रखी। पापी देवनाथ ने अपने जीवन अनुभवों को साझा करते हुए ट्रांसमेन के जीवन में आने वाली समस्याओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ट्रांसविमेन अपनी समस्याओं पर बोलने लगी है और लोग उनकी समस्याओं को लेकर जागरूक भी हो रहे हैं लेकिन ट्रांसमेन बहुत कम है जो अपने परिवार के खिलाफ जाते हुए अपनी जेंडर पहचान स्वीकार करते हुए समाज के समक्ष आ पाते है यही कारण है कि लोगों में ट्रांसमेन के बारे में जानकारी की कमी हैं। पापी देवनाथ ने बताया कि एक लड़की के शरीर में पैदा होने के कारण उन्हें बचपन से ही लड़कों की तरह विपरीत लिंगी व्यवहार के कारण घर व बाहर से प्रताड़नाओं का सामना करना पड़ा। उन्हें रोजगार प्राप्त करने भी समस्याओं का सामना करना पड़ा। नौकरी मिलने के बाद भी कार्यस्थल पर लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही उन्होंने लिंग परिवर्तन की महंगी व जटिल चिकित्सा प्रक्रिया के बारे में अपने अनुभव साझा किया। अंतिम वक्ता के रूप में विद्या राजपूत ने अपनी बात रखते हुए छत्तीसगढ़ में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के पुलिस बनने की कहानी को बताते हुए कहा कि लोगों की स्वीकार्यता प्राप्त करने के लिए ट्रांसजेंडर को सम्मानित कार्यों में आना महत्वपूर्ण रहा है इससे समुदाय के लोगों में आत्मविश्वास बढ़ा है।


विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर हेमलता बोरकर ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि लोगों तक अपनी समस्याओं को पहुंचाना महत्वपूर्ण है। यह कार्य इस तरह के जागरूकता कार्यशाला से ही संभव है।
कार्यक्रम में विभाग के अतिथि शिक्षक क्षमा चंद्राकर, हुम प्रभा साहू, डॉ. प्रमा चटर्जी, डिसेंट साहू, शोधार्थी डॉ. नरेश साहू, फलेंद्र साहू व विभाग के सभी विद्यार्थी, शोधार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन समाज कार्य तृतीय सेमेस्टर की छात्रा निकिता कौशिक के द्वारा किया गया।

 


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