मैनपुरी में अभी तक सबसे ज्यादा वोट पाने का रिकॉर्ड है तेजप्रताप के नाम, क्या डिंपल यादव छू पाएंगी ये आंकड़ा?


नई दिल्ली,08 दिसम्बर 2022\ मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर 5 दिसंबर को मतदान हुआ था. इस सीट से नेताजी की बहू और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनावी मैदान में हैं. अभी तक के रुझानों से यह साफ होता जा रहा है कि मैनपुरी लोकसभा सीट पर मतदाताओं ने डिंपल यादव के लिए जमकर मतदान किया है. वहीं, इस सीट के जातीय गणित पर नजर डालें, तो यह पता चलता है कि इस सीट पर यादव मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. उसके बाद शाक्य मतदाता हैं. 2019 के आम चुनाव में मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते थे. लेकिन उस बार के चुनाव में जीत का मार्जिन पहले के चुनाव के मुकाबले काफी कम हो गया था.

ऐसे में पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि मैनपुरी लोकसभा सीट पर डिंपल यादव को बड़ी चुनौती मिल सकती है. साथ ही जिस से तरह से भाजपा चुनाव जीतती आ रही है. उसके ट्रेंड को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि डिंपल यादव चुनाव जीत सकती हैं. लेकिन, जीत का मार्जिन कितना रहेगा. इसके बारे में अनुमान लगाना काफी मुश्किल है.

इस लोकसभा सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आती हैं. जिसमें करहल और जसवंत नगर विधानसभा सीटें हैं. करहल से अखिलेश यादव विधायक हैं, तो जसवंत नगर शिवपाल सिंह यादव विधायक हैं. किशनी विधानसभा सीट भी सपा के पास है. यहां से ब्रजेश कठेरिया विधायक हैं. लेकिन मैनपुरी और भोगांव विधानसभा सीटें भाजपा के पास हैं.

मैनपुरी लोकसभा सीट पर 21वीं बार चुनाव हो रहे हैं. यहां पर पहली बार लोकसभा चुनाव 1952 में हुआ था. पहली बार यहां से बादशाह गुप्ता सांसद चुने गए थे. वहीं, 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से बंशीधर धनगर विजयी हुए थे. सबसे अंत में यहां से कांग्रेस के बलराम सिंह यादव 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में विजयी हुए थे. उसके बाद से यह सीट समाजवादियों के पास ही रही है. 1989 में इस सीट से जनता दल से उदय प्रताप सिंह चुनाव जीते थे. 1996 में मुलायम सिंह यादव यहां से चुनाव जीते थे. वहीं, 1998 और 1999 में सपा के बलराम सिंह यादव विजयी हुए थे. 2004 में मुलायम सिंह यादव जीते थे, लेकिन उनके यूपी के मुख्यमंत्री बन जाने से इस्तीफे के बाद खाली हुई सीट पर धर्मेंद्र यादव विजयी हुए. 2009 और 2014 में मुलायम सिंह यादव फिर से जीत हासिल किए थे. लेकिन 2014 में मुलायम सिंह यादव दो जगहों से चुनाव लड़े ते, जिसमें एक सीट आजमगढ़ थी. दोनों जगहों से जीत हासिल करने के बाद उन्होंने मैनपुरी लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था और आजमगढ़ सीट अपने पास रखी थी. उसके बाद 2014 में हुए उपचुनाव में तेजप्रताप यादव विजयी हुए थे. 2019 में मुलायम सिंह यादव फिर से इस सीट से चुनाव लड़े और जीत हासिल किए. अब उनके निधन के बाद डिंपल यादव यहां से चुनाव लड़ रही हैं.

आइए, एक नजर डालते हैं पहले के चुनावों के हार-जीत के अंतर पर-

2019 में सपा के मुलायम सिंह यादव को मैनपुरी लोकसभा सीट पर कुल 524,926 वोट मिले थे. वहीं, भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य को 4,30,537 वोट हासिल हुए थे.

2014 के उपचुनाव में सपा के तेजप्रताप यादव को 6,53,786 वोट मिले थे, जबकि प्रेम सिंह शाक्य को 3,32537 वोट मिले थे.

2014 में ही आम चुनावों में मुलायम सिंह यादव को 5,95,918 वोट मिले थे. वहीं, भाजपा के शत्रुघ्न सिंह चौहान को 2,31,252 वोट मिले थे. बसपा की संघमित्रा को 1,42,833 वोट मिले थे.

2009 के आम चुनावो में सपा के मुलायम सिंह यादव को 3,92,308 वोट मिले थे. वहीं, बसपा के विनय शाक्य को 2,19,239 वोट मिले थे. भाजपा की तृप्ति शाक्य तीसरे नंबर पर थीं.

2004 के उपचुनाव में सपा के धर्मेंद्र यादव को कुल 3,48,999 वोट मिले थे. जबकि बसपा के अशोक शाक्य को 1,69,286 वोट मिले थे. भाजपा के रामबाबू कुशवाहा को 14,544 वोट मिले थे.

2004 के आम चुनाव में सपा के मुलायम सिंह यादव को 4,60,470 वोट मिले थे, जबकि बसपा के अशोक शाक्य को 1,22,600 वोट मिले थे. भाजपा के बलराम सिंह यादव को 1,11,153 वोट मिले थे.

1996 के आम चुनावों में मुलायम सिंह यादव को 2,73,303 वोट मिले थे, तो भाजपा के उपदेश सिंह चौहान को 2,21,345 वोट मिले थे. बसपा के भगवंत दास शाक्य को 1,02,785 वोट मिले थे.


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