भोपाल,03 नवम्बर 2022 /
स्कूल शिक्षा विभाग ने एक व्याख्याता को सेवानिवृति के 11 साल बाद नोटिस जारी कर सात लाख 66 हजार दो स्र्पये की वसूली के लिए रिकवरी आदेश जारी किया। विभाग का कहना है कि सेवाकाल के दौरान अधिक राशि का भुगतान किया गया है। इसलिए पेंशन से यह राशि काटी जाएगी। विभाग के इस फैसले को चुनौती देते हुए 73 वर्षीय रिटायर व्याख्याता लक्ष्मीनारायण तिवारी ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने रिकवरी आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने आला अफसरों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।
जांजगीर-चांपा के पामगढ़ निवासी लक्ष्मी नारायण तिवारी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ससहा में पदस्थ थे। 62 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर 31 जनवरी 2011 को वे सेवानिवृत्त हो गए। सेवानिवृत्ति के 11वर्ष बाद कार्यालय महालेखाकार रायपुर द्वारा उनके खाते में सात लाख 66 हजार दो रुपये का ऋणात्मक शेष बताते हुए उनकी पेंशन से वसूली आदेश जारी कर दिया गया। उक्त वसूली आदेश के खिलाफ 73 वर्ष के लक्ष्मी नारायण तिवारी ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय एवं घनश्याम शर्मा के जरिए हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की है। अधिवक्ता अभिषेक पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में स्टेट आफ पंजाब विरुद्ध रफीक मसीह के वाद में वर्ष 2015 में एवं थामस डेनियल विरुद्ध स्टेट आफ केरल के वाद में वर्ष 2022 में यह सिद्धांत प्रतिपादित किया है कि किसी भी शासकीय कर्मचारी की सेवानिवृति के बाद सेवाकाल के दौरान अधिक भुगतान का हवाला देते हुए किसी प्रकार का वसूली आदेश जारी नहीं किया जा सकता है।
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