नई दिल्ली,16 नवम्बर 2022\ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संविधान पर प्रतिदिन हमला करती है क्योंकि वह यह स्वीकार नहीं करना चाहती कि दलितों, आदिवासियों और गरीबों को अधिकार मिलने चाहिए।
गांधी ने अंग्रेजों के लिए ‘‘काम करने’’ को लेकर हिंदुत्व विचारक वी डी सावरकर पर भी निशाना साधा। गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का आज 69वां दिन था और यात्रा मंगलवार को हिंगोली से महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के वाशिम जिला पहुंची।
गांधी ने कहा कि केवल कांग्रेस ही संविधान की रक्षा कर सकती है, आदिवासियों को शिक्षा दे सकती है और उनकी जमीन और अधिकारों की रक्षा कर सकती है।
केरल से लोकसभा सदस्य गांधी ने दो जनसभाओं को संबोधित किया और 2016 की नोटबंदी, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से लेकर कृषि ऋण जैसे मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा।
गांधी ने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती पर दोपहर में एक जनसभा को संबोधित किया। रैली में आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए। उन्होंने बिरसा मुंडा और सावरकर के बीच तुलना करने का प्रयास करते हुए कहा कि बिरसा मुंडा अपने आदर्शों के लिए दृढ़ थे।
बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के तौर पर मनाया जाता है। गांधी ने कहा, ‘‘वह (मुंडा) एक इंच भी पीछे नहीं हटे। वह शहीद हो गए। ये आपके (आदिवासी) प्रतीक हैं और आपको रास्ता दिखाते हैं। भाजपा-आरएसएस के प्रतीक सावरकर हैं। वह दो-तीन साल तक अंडमान में जेल में रहे। उन्होंने दया याचिकाएं लिखनी शुरू कर दीं।’’
गांधी ने दावा किया कि सावरकर ने खुद पर एक अलग नाम से एक किताब लिखी और बताया कि वह कितने बहादुर थे। उन्होंने कहा, ‘‘वह अंग्रेजों से पेंशन लेते थे, उनके लिए काम करते थे और कांग्रेस के खिलाफ काम करते थे।’’
गांधी ने कहा कि आदिवासी ‘‘देश के मूल मालिक’’ हैं और उनके अधिकार सबसे पहले आते हैं। गांधी ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा द्वारा बिरसा मुंडा के आदर्शों पर चारों तरफ से हमला किया जा रहा है। गांधी ने दावा किया, ‘‘भाजपा हर रोज संविधान पर हमला करती है क्योंकि वह यह स्वीकार नहीं करना चाहती कि दलितों, आदिवासियों और गरीबों को अधिकार मिलने चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि जहां कांग्रेस आदिवासियों के लिए ‘आदिवासी’ शब्द का इस्तेमाल करती है, वहीं भाजपा-आरएसएस उन्हें ‘वनवासी’ कहकर संबोधित करते है।
उन्होंने कहा, ‘‘वे (भाजपा-आरएसएस) कहते हैं कि आप आदिवासी नहीं हैं और आप यहां सबके पहले नहीं रहते थे। उन्होंने नाम (वनवासी) बदल दिया है, लेकिन यह कोई छोटी घटना नहीं है, यह गंभीर है। वे उस पर हमला कर रहे हैं जिसके लिए बिरसा मुंडा ने संघर्ष किया था।’’
कांग्रेस सांसद ने ‘आदिवासी’ (भूमि के मूल निवासी) और ‘वनवासी’ के बीच अंतर करने का प्रयास किया। गांधी ने कहा कि जंगल सिकुड़ रहे हैं और 20 से 30 साल में खत्म हो जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘वे (भाजपा) कह रहे हैं कि आपको कोई अधिकार नहीं मिलना चाहिए। जब जंगल खत्म हो जाएंगे तो वनवासियों का कोई अधिकार नहीं रहेगा। उनका यही मतलब है।’’
गांधी ने कहा कि कांग्रेस का दृढ़ विश्वास है कि आदिवासी देश के मूल मालिक हैं। उन्होंने कहा, ‘‘देश (जमीन) आपसे लिया गया था, इसलिए जब यह आपसे लिया गया, तो आपको बदले में कुछ वापस मिलना चाहिए। इसलिए आपको अपना अधिकार, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और देश की संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए। आदिवासी, अल्पसंख्यक, दलित, पिछड़ा वर्ग कैसे संरक्षित हैं? ये संविधान के माध्यम से हैं।’’
सांसद ने कहा कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने संविधान तैयार किया था और कांग्रेस ने भी इस कवायद में योगदान दिया था। गांधी ने दावा किया कि उस समय भाजपा नेताओं ने कहा था कि किसी संविधान की जरूरत नहीं है।
भाजपा पर निशाना साधते हुए गांधी ने आरोप लगाया कि यह सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बंद कर रही है और शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा का निजीकरण कर रही है।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘क्या होगा यदि सभी सरकारी स्कूल बंद हो जाएंगे? (वंचित) लोग अशिक्षित रहेंगे और यह भाजपा है जो इससे लाभान्वित होगी। वे सभी रास्ते बंद कर रहे हैं। रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के दरवाजे बंद हो रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस ही थी जो वन अधिकार अधिनियम जैसे प्रमुख कानून लेकर आयी, लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा आदिवासियों के अधिकारों को ‘‘छीनने’’ पर उतारू है।
उन्होंने कहा, ‘‘केवल कांग्रेस ही संविधान, आदिवासियों की शिक्षा, उनकी भूमि और उनके अधिकारों की रक्षा कर सकती है। केवल कांग्रेस ही (अपने राजनीतिक विरोधियों को) टक्कर दे सकती है। कांग्रेस लड़ती है, लेकिन उसे और मजबूती से लड़ना चाहिए।’’
शाम को एक अन्य रैली में कांग्रेस नेता ने जीएसटी के क्रियान्वयन और 2016 की नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि दो उपायों ने किसानों, छोटे और मध्यम उद्योगों तथा छोटे दुकानदारों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला, जो अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के ‘गलत’ क्रियान्वयन का इस्तेमाल छोटे दुकानदारों, व्यापारियों और किसानों को ‘खत्म’ करने के लिए ‘हथियार’ के रूप में किया गया।
गांधी ने कहा, ‘‘नरेंद्र मोदी जी ने कहा कि (नोटबंदी के बाद) काला धन समाप्त हो जाएगा। लेकिन क्या हुआ-लाखों छोटे व्यवसाय और करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए। वह (प्रधानमंत्री) अपने दो-तीन दोस्तों की मदद करना चाहते थे। हवाई अड्डे, बंदरगाह, सड़क, दूरसंचार, बुनियादी ढांचे का कारोबार दो-तीन लोगों को दिया गया है।’’
उन्होंने बेरोजगारी के मुद्दे पर भी केंद्र पर हमला बोला। गांधी ने कहा, ‘‘नरेंद्र मोदी जी कहते थे कि वह 2 करोड़ लोगों को रोजगार देंगे, लेकिन उन्होंने जीएसटी और नोटबंदी के कारण करोड़ों लोगों को बेरोजगार कर दिया। कोरोना वायरस महामारी के दौरान उन्होंने मजदूरों को तबाह कर दिया और उनमें डर पैदा किया।’’
उन्होंने पूछा कि अगर अरबपतियों के लिए ऐसा किया जा सकता है तो किसानों का कर्ज माफ क्यों नहीं किया जा सकता है। गांधी ने कहा जब कोई अरबपति धन (ऋण) का भुगतान करने में असमर्थ होता है, तो नौकरशाह इसे एनपीए (गैर-निष्पादित संपत्ति) कहते हैं, लेकिन जब किसान 50,000 रुपये से 1,00,000 रुपये का ऋण लेते हैं और उन्हें चुकाने में विफल रहते हैं, तो वे उन्हें बकाएदार कहते हैं और उनकी जमीन और मकान जब्त कर लेते हैं।’’
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