भाजपा प्रदेश सह मीडिया प्रभारी अनुराग अग्रवाल ने माना एसओएस गृह में नाबालिग बालिका के साथ हुए सामूहिक अनाचार की घटना पर सरकार की चुप्पी

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रायपुर 15 नवंबर 2022/

जिम्मेदारों पर कार्रवाई न किए जाने कि शिकायत राष्ट्रीय बाल सरंक्षण आयोग से की है व इस मामले पर संज्ञान लेते हुए त्वरित कार्यवाही कर उक्त बालिका को न्याय दिलाने व माना एस ओ एस गृह में रह रहे अन्य बालिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।

प्रति,
श्रीमान प्रियंक कानूनगो,
अध्यक्ष राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, भारत
सरकार
विषय: माना,रायपुर छत्तीसगढ़, स्थित एक गैर सरकारी संगठन संस्थान में बालिका के दुष्कर्म मामले में संज्ञान लेने के संदर्भ में।

महोदय,
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित एसओएस नामक गैर सरकारी संगठन में 14 -15 वर्ष की एक बालिका से दुष्कर्म हुआ। दुष्कर्म की घटना मई 2021 के आसपास हुई और पुलिस में f.i.r. नवंबर 2021 में दर्ज कराई गई। इस दुष्कर्म की घटना को 5 माह तक उक्त संस्था, राज्य महिला एवं बाल विकास विभाग व बाल संरक्षण इकाई द्वारा दबाकर रखा गया। आरोपियों को बचाने की कोशिश हुई। बच्ची के बयान के आधार पर एक आरोपी को गिरफ्तार कर पुलिस ने मामले की फाइल बंद कर दी।
पीड़िता बालिका ने बच्चे को जन्म दिया जिसकी मृत्यु हो जाती है। लेकिन डीएनए जांच से पता चलता है कि बच्चे के डीएनए और आरोपी के डीएनए नही मिलता। यह बताता है कि बालिका के साथ एक से अधिक लोगों ने दुष्कर्म किया। इस मामले पर राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री जानकारी नही होने की बात करती है। इससे पूरे घटनाक्रम से मामले की लीपापोती और संदिग्ध कार्यप्रणाली उजागर होती है।
सरकार की कार्यप्रणाली कई सवालों को जन्म देती है। जैसे
1. आरोपी का डीएनए और बच्चे का डीएनए मैच नहीं हो रहा इसका अर्थ है यह सामूहिक दुष्कर्म का मामला है लेकिन पुलिस द्वारा इसे दुष्कर्म का मामला मानकर दबा दिया गया।
2. पॉक्सो एक्ट की धारा कहती है दुष्कर्म के मामले को दबाने वालों पर भी पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज होना चाहिए लेकिन एनजीओ और राज्य बाल विकास विभाग के अधिकारियों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
3. पीड़िता को अभी तक उसी स्थान पर रखा गया है जहां पर उससे दुष्कर्म हुआ इसलिए उसपर दबावपूर्ण बयान दिलाए जा रहे है।
4. उक्त एनजीओ में में अभी अन्य बालिकाएं रह रही है उनकी सुरक्षा पर भी गंभीर प्रश्न उठते है।
महोदय राज्य बालिका आयोग पूरे मामले पर चुप्पी साधी रखी है और एक के बाद एक संदिग्ध कार्यप्रणाली का परिचय दे रही है।
अतः महोदय जी से निवेदन है पीड़ित बालिका को न्याय दिलाने के लिए पूरे मामले का संज्ञान लें।
(संलग्न – समाचार पत्रों की प्रतियां)


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