नई दिल्ली,14 नवम्बर 2022\ भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू और कांग्रेस नेता जयराम रमेश कश्मीर को लेकर आपस में भिड़ गए। न्यूज वेबसाइट सीएनएन न्यूज 18 के लिए रिजिजू ने ‘Five Nehruvian Blunders of Kashmir’ टाइटल से एक लेख लिखा है। उनके इस लेख का जयराम रमेश सहित कांग्रेस नेताओं ने तीखी आलोचना की है। इस लेख पर कर्ण सिंह ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। हिंदुस्तान टाइम्स के एक ओपिनियन कॉलम में कांग्रेस नेता ने उन घटनाओं में अपने पिता की भूमिका को स्पष्ट किया जो जम्मू-कश्मीर को भारत में प्रवेश की ओर ले गईं।
रिजिजू ने 24 जुलाई 1952 को लोकसभा में नेहरू के भाषण का हवाला दिया जिसमें उन्होंने जुलाई 1947 में विलय के सवाल का जिक्र किया था। रिजिजू कहते हैं कि नेहरू ने कश्मीर को एक विशेष मामला कहा था। उन्होंने यह भी कहा था कि वहां चीजों को जल्दी ठीक करने की कोशिश करना सही या उचित नहीं होगा।
रिजिजू ने 21 अक्टूबर 1947 को कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री मेहर चंद महाजन को लिखे पत्र का जिक्र किया, जिसमें नेहरू ने कहा था कि इस स्तर पर भारतीय संघ के साथ जुड़ाव की कोई घोषणा करना अवांछनीय होगा। यह पत्र आदिवासियों द्वारा समर्थित पाकिस्तानी सेना द्वारा कश्मीर पर आक्रमण करने के एक दिन बाद लिखा गया था।
मोदी के मंत्री लिखते हैं, “डोगरा राजा हरि सिंह कश्मीर के बाहरी व्यक्ति नहीं थे। कश्मीर घाटी में उनके पास उतने ही अधिकार थे जितने किसी और के पास थे।” रिजिजू ने लंदन में 1931 के गोलमेज सम्मेलन में हरि सिंह की घोषणा का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि वह पहले एक भारतीय थे और फिर एक महाराजा। उन्होंने कहा कि वही हरि सिंह 1947 में भारत में शामिल होने की गुहार लगा रहे थे, लेकिन नेहरू के एजेंडे के पूरा होने तक हर मौके पर उन्हें नाकाम कर दिया गया।
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