कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल, एक और पूर्व CJI बोले- यह एकदम सही और संतुलित

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नई दिल्ली,13 नवम्बर 2022\ भारत में न्यायाधीशों की नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम को लेकर चर्चा छिड़ी हुई है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के एक और पूर्व न्यायाधीश यूयू ललित ने इसपर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस प्रक्रिया को ‘संतुलित’ बताया है। वह हाल ही में पद से रिटायर हुए हैं। कुछ दिनों पहले ही केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम सिस्टम को ‘अपारदर्शी’ बताया था।

एक और पूर्व सीजेआई ने दी थी प्रतिक्रिया
पूर्व प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने शनिवार को कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर विकल्प मुहैया कराए बिना कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना करने का कोई मतलब नहीं है। न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, ‘हर दिन आप किसी को यह कहते हुए पढ़ेंगे कि कॉलेजियम प्रणाली सही प्रणाली नहीं है। कोई भी यह नहीं कह सकता है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली सबसे उत्तम प्रणाली है, लेकिन कॉलेजियम प्रणाली में सुधार किया जा सकता है जैसा कि प्रधान न्यायाधीश ने हाल ही में उल्लेख किया था।’

वह स्पष्ट रूप से न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की टिप्पणी का जिक्र कर रहे थे, जिन्होंने नौ नवंबर को प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। ठाकुर दिसंबर 2015 से जनवरी 2017 तक प्रधान न्यायाधीश थे।

बीते महीने केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा था कि देश के लोग कॉलेजियम सिस्टम से खुश नहीं हैं। संविधान की भावना के अनुसार, न्यायाधीशों को नियुक्त करना सरकार का काम है। दरअसल, सु्प्रीम कोर्ट कॉलेजियम के प्रमुख सीजेआई होते हैं, जिसके सदस्य कोर्ट के चार सबसे वरिष्ठ सदस्य होते हैं।

देरी से नाराज हुई अदालत
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को शीर्ष अदालत की कॉलेजियम द्वारा दोबारा भेजे गये नामों सहित उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सिफारिश नामों को केंद्र द्वारा लंबित रखने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इन्हें लंबित रखना ‘अस्वीकार्य’ है। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने पहले स्पष्ट किया था कि एक बार सरकार ने अपनी आपत्ति जता दी है और कॉलेजियम ने उसे यदि दोबारा भेज दिया है तो उसके बाद नियुक्ति ही होनी है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ ने कहा, ‘नामों को बेवजह लंबित रखना स्वीकार्य नहीं है।’


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