डीयू छात्रा मर्डर केस दिल्ली हाईकोर्ट ने पलटा निचली अदालत का फैसला


नई दिल्ली, 01 अक्टूबर 2022 /
दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्ष 2009 में दिल्ली विश्वविद्यालय की एक छात्रा निकिता सिंह की हत्या के मामले में तीन आरोपियों को बरी कर दिया, जबकि निचली अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्ष 2009 में दिल्ली विश्वविद्यालय की एक छात्रा की हत्या के मामले में तीन आरोपियों को बरी कर दिया, जबकि निचली अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में वर्ष 2009 में गिरफ्तार आरोपियों को रिहा करने का भी आदेश दिया।
तीनों आरोपियों को सितंबर 2009 में दिल्ली विश्वविद्यालय की 21 वर्षीय छात्रा निकिता सिंह की सिर में गोली मारकर की गई थी। हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था। निकिता सिंह का शव मुंडका गांव के फार्म हाउस में पॉलिथीन बैग में मिला था। हत्या को तब अंजाम दिया गया था, जब वह कॉलेज से घर लौट रही थी।

जस्टिस मुक्ता गुप्ता और जस्टिस अनीश दयाल की बेंच ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिसके आधार पर तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया जाए। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा वर्ष 2020 में उन्हें सुनाई गई सजा रद्द कर दी।

अदालत ने वरिष्ठ वकील प्रमोद कुमार दुबे द्वारा दायर यशू, विनीत और सुनील कुमार की अपील स्वीकार कर ली जिसमें उन्होंने निचली अदालत द्वारा हत्या का दोषी करार दिए जाने के फैसले को चुनौती दी थी। अदालत ने यह फैसला 31 अक्टूबर को सुनाया। बेंच ने कहा कि हत्या का मकसद और मूलभूत तथ्यों के बारे में कोई सबूत नहीं है और पीड़िता के पिता के केवल एक बयान के संबंध में एक आरोपी के साथ पारिवारिक विवाद था, बिना किसी और पुष्टि के विश्वसनीय नहीं माना जा सकता।


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